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भारत सरकार

यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

यह राज्य सरकार इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये मुहैय्या करा रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य की महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना चालू की गई है। योजना के अंतर्ग महिलाओं को 1000 रुपये हर माह दिए जाएंगे। इससे महिलाऐं काफी समृद्ध हो सकेंगी। बतादें, कि राज्य सरकारें महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। महिलाओं को उनका अधिकार मिल पाए। इस संबंध में राज्य सरकारें निरंतर कदम उठाती रहती है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी महिलाओं के लिए बड़ी कवायद की है। एक करोड़ से ज्यादा महिलाएं इस योजना के अंतर्गत जुड़ चुकी है। राज्य सरकार उन्हें सशक्त व मजबूत करने का कार्य कर रही हैं। हालांकि, इस योजना का फायदा चुनावी तौर पर भी जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को समृद्ध और सशक्त बनाना ही पहली प्राथमिकता बताई जा रही है।

महिलाओं को प्रति माह मिलेंगे 1000 रुपये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना जारी की है। योजना के अंतर्गत महिला आवेदकों को पंजीकरण करवाना जरुरी होगा। उसके बाद में संपूर्ण जांच पड़ताल करने के उपरांत महिलाओं के खाते में प्रति माह 1000 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। महिलाओं को यह धनराशि 10 जून के उपरांत मिलनी चालू हो जाएगी।

पंजीकरण की अंतिम तिथि क्या है

लाडली योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन की तिथि 30 अप्रैल तक निर्धारित की गई है। आवेदकों की जांच कर उनका निराकरण 15 से 30 मई तक किया जाएगा। राज्य सरकार के अधिकारी योजना से जुड़ी समस्त जानकारी पोर्टल पर 31 मई तक प्रेषित कर दी जाएगी।

कितनी वर्षीय महिलाऐं इस योजना का फायदा उठा सकती हैं

जानकारी के लिए बतादें कि इस योजना का फायदा सिर्फ 23 से 60 साल तक की महिलाओं को प्राप्त हो पाएगा। परंतु, इस बात पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रखना है, कि परिवार आयकर दाता नही होना चाहिए। साथ ही, उसके घर में चार पहिया वाहन भी नही होना चाहिए इसके अतिरिक्त बाकी नियमों का भी ध्यान रखा जाएगा। ये भी पढ़े: 3 लाख किसान महिलाओं के खाते में 54,000 करोड़ रुपये भेज किया आर्थिक सशक्तिकरण

योजना का फायदा लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

दस्तावेजों के लिए कुछ डॉक्यूमेंट भी अत्यंत जरुरी कर दिए गए हैं। इसके अंतर्गत पासबुक की फोटोकॉपी, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड की कॉपी एवं एक फोटो की भी आवश्यकता होगी। किसान राज्य सरकार की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने आप से भी अपलोड कर सकते हैं। कॉमन सर्विस सेंटर में भी पंजीकरण करवाया जा सकता है।
यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों के हित में ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृष उपकरणों और मशीनों को खरीदने पर 30 से 50 फीसद तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। आधुनिक दौर में खेती विज्ञान पर आधारित हो चुकी है। खेती को सुगम और सरल बनाने कि लिए प्रतिदिन नवीनतम मशीनों का आविष्कार किया जा रहा है। इन मशीनों के इस्तेमाल से वक्त की भी बचत होती है। साथ ही, खेती पर किए जाने वाले खर्चे में भी काफी सहूलियत मिलती है। इन्हीं वजहों के चलते अलग- अलग राज्य सरकारें अपने- अपने राज्यों में कृषि यंत्रों की खरीद हेतु बेहतरीन अनुदान देती हैं। जिससे किसान भाईयों को खेती करने में किसी भी तरह की कोई समस्या ना हो पाए। कृषि जागरण के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि मशीनों की खरीद पर अच्छी-खासी सब्सिडी देने की घोषणा की है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार भी इस बात से सहमत है, कि वर्तमान में खेती तकनीक पर आधारित हो गई है। अगर किसान भाइयों को आधुनिक और नवीन मशीनों की खरीद पर आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाए, तो बाकी राज्यों के कृषकों से पीछे रह जाएंगे। दरअसल, कृषि यंत्र अत्यंत महंगे मिलते हैं। समस्त किसान इन्हें खरीदने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर एमपी सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है।

इन यंत्रों की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

मध्य प्रदेश सरकार ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि ऊपकरणों एवं मशीनों की खरीद पर 30 से 50 प्रतिशत तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। इससे कृषकों को श्रू मास्टर, मल्चर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, सुपर सीडर, क्रॉप रीपर, हैप्पी सीडर और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर की खरीद करने पर 40 से 60 हजार रुपये का अनुदान मुहैय्या करा रही है। साथ ही, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुदान की घोषणा करने पर किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसान भाइयों को यह उम्मीद जताई है, कि इन यंत्रों की सहायता से खेती करने पर अच्छी उपज मिल सकेगी।

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जितने भी विकसित देश हैं सब मशीनों के सहयोग से खेती करते हैं

आज की तारीख में जितने भी विकसित देश हैं, वहां यंत्रों एवं मशीनों की सहायता से खेती-किसानी की जा रही है। रूस, अमेरिका और कनाड़ा समेत बहुत सारे विकसित देशों में किसान अकेले ही यंत्र की सहायता से सैंकड़ों एकड़ में उत्पादन कर रहे हैं। अगर भारत में समस्त किसानों के पास कृषि यंत्र की उपलब्धता हो जाए, तब यहां के कृषक भी पश्चिमी देशों के किसानों की भाँति बेहतरीन ढंग से खेती कर सकेंगे। बतादें, कि मध्य प्रदेश के अतिरिक्त दूसरे प्रदेश भी कृषि यंत्रों की खरीद पर वक्त-वक्त पर अनुदान मुहैय्या करा देते हैं। साथ ही, विगत फरवरी माह में पंजाब सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद करने पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की थी। जनरल कैटेगरी में आने वाले किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान धनराशि प्रदान की जा रही थी। साथ ही, बाकी श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान था।
केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार की तरफ से भारत के अंदर बढ़ती अन्न की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए। अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक ब्लॉक में गोदाम निर्मित किए जाएंगे। भारत में अन्न की बर्बादी ना हो इसको लेके केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत हर एक ब्लॉक में 2 हजार टन के गोदाम स्थापित किए जाएंगे। इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए त्रिस्तरीय प्रबंध किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य अन्न की बर्बादी को रोकना है। बतादें, कि फिलहाल भारत में अन्न भंडारण की कुल क्षमता 47 प्रतिशत है। परंतु, केंद्र सरकार की इस योजना से अन्न भंडारण में तीव्रता आएगी। कैबिनेट की बैठक खत्म हो जाने के उपरांत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है, कि सहकारिता मंत्री के नेतृत्व में समिति बनाई जाएगी। योजना की शुरुआत 700 टन अन्न भंडारण के साथ होगी। इस योजना की शुरूआत होने पर भारत में खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा। इस योजना को जारी होने पर अन्न भंडारण क्षमता में इजाफा होगा। वर्तमान में भारत के अंतर्गत अनाज भंडारण की क्षमता 1450 लाख टन है। जो कि फिलहाल बढ़कर 2150 लाख टन हो जाएगी।

हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस लक्ष्य को हांसिल करने के लिए 5 साल का वक्त लग जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार पांच साल में 1 लाख करोड़ रुपये का खर्चा करने वाली है। योजना के अंतर्गत भारत के हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, यह योजना सहकारिता क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम है। इस योजना से भारत में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके अतिरिक्त फसल की बर्बादी भी रुकेगी। यह भी पढ़ें: भंडारण की समस्या से मिलेगी निजात, जल्द ही 12 राज्यों में बनेंगे आधुनिक स्टील गोदाम

खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी

केंद्र सरकार के अनुसार, सहकारिता क्षेत्र में गोदाम के अभाव के चलते अन्न की बर्बादी ज्यादा हो रही है। अगर ब्लॉक स्तर पर गोदाम निर्मित होंगे तो अन्न का भंडारण होने के साथ-साथ ट्रांसपोर्टिंग पर आने वाली लागत भी कम आएगी। योजना के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। फिलहाल, भारत में प्रत्येक वर्ष 3100 लाख टन खाद्यान्न की पैदावार होती है। लेकिन, सरकार के पास केवल उत्पादन के 47 प्रतिशत भाग को भंडारण करने की ही व्यवस्था है। जो कि इस योजना के आने के उपरांत ठीक हो जाएगी।
किसान दे ध्यान इन कीटनाशक का अब नही होगा प्रयोग, सरकार ने लगा दिया प्रतिबंध

किसान दे ध्यान इन कीटनाशक का अब नही होगा प्रयोग, सरकार ने लगा दिया प्रतिबंध

आप देखते होंगे खेत में फसल के साथ-साथ खरपतवार उपजने से किसान काफी परेशान रहते हैं। खरपतवार को हटाने के लिए किसान अनेकों तरह का केमिकल का प्रयोग करते थे, जिससे किसान को कुछ फायदा होता था। लेकिन एक तरफ इस केमिकल से किसान को खरपतवार हटने से फायदा होता था, वहीं दूसरी ओर जो उस फसल का उपयोग करता था, उसके स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता था। आपको बता दें कि पिछले 40 सालों से तकरीबन डेढ़ सौ देशों में किसान इस केमिकल का छिड़काव फसल पर करते आ रहे हैं। लेकिन अब आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि भारत सरकार ने अब इस तरीके के कुछ कीटनाशक एवं केमिकल के छिड़काव पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा बताया जा रहा है। कहना है कि जबसे इन कीटनाशकों का उपयोग खरपतवार और कीट रोगों को हटाने के लिए किया जा रहा है, तब से लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर काफी असर पड़ा है। लोग इस केमिकल के कारण काफी बीमार पड़ रहे हैं, क्योंकि यह केमिकल जिस पैदावार पर छोड़ा जा रहा है, उसके साथ लोगों के शरीर के अंदर जाकर काफी नुकसान भी पहुंचा रहा है।

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भारत सरकार विगत कुछ दिन पहले एक पत्र जारी कर खरपतवार मारने वाले हार्बिसाइड ग्लाइफोसेट (Herbicide Glyphosate) नामक दवाई के छिड़काव पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं भारत सरकार ने एक पत्र जारी कर यह भी कहा है कि और इस केमिकल का प्रयोग पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स के अलावा कोई भी किसान या व्यक्ति नहीं कर सकता। भारत सरकार के इन फैसलों के खिलाफ ग्लोबल रिसर्च और नियामक निकायों के समर्थन का हवाला देते हुए एसीएफआई यानि एग्रोकेमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (Agro Chem Federation of India (ACFI)) ने इसका विरोध भी किया है। एसीएफआई ने मांग किया है कि इस तरीके के केमिकल जो सिर्फ खरपतवार मारने के लिए किया जाता था, उसको फिर से शुरू कर दिया जाए।

कंपनियां 3 महीने के अंदर सर्टिफिकेट करे वापस

भारत सरकार ने पत्र जारी कर सिर्फ इसके छिड़काव पर ही रोक नहीं लगाया है, बल्कि इसका प्रयोग या फिर इसके डेरिवेटिव्स का प्रयोग करने वाली कंपनियों को नोटिफिकेशन कर इसके प्रयोग के लिए मिले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को भी तुरंत वापस करने का निर्देश दिया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि अगर जो कंपनी रजिस्ट्रेशन कमेटी को अपना इस केमिकल के प्रयोग का रजिस्ट्रेशन वापस नहीं करती है, उनके ऊपर यथोचित कार्रवाई भी की जाएगी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह केरल की सरकार के एक रिपोर्ट के बाद इस पर मसौदा जारी हुआ था, जिससे इस खरपतवार नाशक के डिस्ट्रीब्यूशन बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही गई थी। इसी मसौदे पर भारत सरकार के द्वारा जुलाई 2020 को अधिसूचना जारी किया गया था, जिसके 2 साल बाद अब इस पर पत्र जारी किया गया है और इसके प्रतिबंध को बताया गया है। इस प्रतिबंध के आलोक में कंपनियों को नोटिफिकेशन जारी कर यह चेतावनी दी गई थी कि 3 महीने के अंदर सर्टिफिकेट वापस करें वरना उन कंपनियों पर इंसेक्टिसाइड एक्ट 1968 के प्रावधान के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह केमिकल हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के प्रयोग पर नीदरलैंड में भी प्रतिबंध लगा हुआ है।

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एसीएफआई के महानिदेशक कर रहे है इस नियम का विरोध

एग्रोकेमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सरकार के इस नोटिफिकेशन का विरोध करते हुए कहा है कि इससे खेती किसानी पर भी काफी असर पड़ेगा। उसके महानिदेशक बयान देते हुए कहे हैं कि ग्लाइकोसाइड आधारित फॉर्मूलेशन या उस केमिकल का इस्तेमाल काफी सुरक्षित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों के प्राधिकरण इसके परीक्षण और सत्यापन में योगदान दिया है। उन्होंने सरकार को लताड़ते हुए कहा कि इस केमिकल पर बैन लगाना कहीं से कोई तर्कसंगत बात नहीं है। उन्होंने पीसीओ के द्वारा प्रयोग वाले बयान पर यह कहा कि किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खेती में लागत भी पहले की तुलना में काफी बढ़ जाएगा।